बाप ने गुस्से में बेटी की गांड फाड़ी

Dec 15, 2025 - 11:56
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बाप ने गुस्से में बेटी की गांड फाड़ी

मैं गर्ल ऐस्स फक कहानी में एक डॉक्टर से मिल गया।  उसने मुझे CCTv रिकॉर्डिंग भेजी, जिसे मेरे पापा ने देखा था।  मेरे पिता ने तुरंत मुझे नंगा करके घोड़ी बनाया।

 इस कहानी सुनिए।
 अब तक आपने पढ़ लिया था कि मैं अपने पिता से चुदवाने के कारण तीन बार गर्भवती हो गई थी, इसलिए मुझे गर्भपात करवाना पड़ा था।  मैंने पापा से बातचीत करके अपनी चुत में कॉपर-टी लगाने का फैसला किया और एक डॉक्टर से कॉपर-टी लगवाने के चक्कर में चुद गया।  उसकी क्लिनिक में सीसीटीवी कैमरे लगे थे, इसलिए मैंने चुदाई के बाद देखा कि मेरी चुदाई का वीडियो बनाया गया है।  मैं अपने घर पहुंची और डॉक्टर को डांटते हुए सारे वीडियो अपने ईमेल पर भेजने के लिए कहा।

 इसके बाद, गर्ल ऐस्स फक की कहानी:

 जब मैं घर पहुंची, मेरे पिता घर पर नहीं थे।
 शायद वे कहीं गए होंगे।

 घर पहुंचते ही मैंने सारे कपड़े उतारे और पापा के बिस्तर पर गिरकर कुछ समय बिताया।
 शाम हो चुकी थी, और मैं डॉक्टर के माल और थूक से सना हुआ था।

 मैं नहाने गया।

 मैंने अपनी चूत, गांड और मुँह को धोकर एक काले रंग की ब्रा और पैंटी पहन ली।
 Papa ने कहा कि काली जालीदार ब्रा मुझ पर बहुत सेक्सी लगती थी।

 जब वे पहुंचे, मैंने उनकी पसंदीदा काली जालीदार ब्रा और पैंटी पहनकर किचन में काम करने लगा।

 रात का खाना तैयार हो गया था।
 लेकिन पिता अभी भी नहीं आए।

 मैंने अपने फोन पर एक ईमेल नोटिफिकेशन देखा।

 शायद आज की क्लिनिक रिपोर्ट डॉक्टर ने भेजी थी।

 मैं कमरे में आकर अपने लैपटॉप पर मेल देखने लगी।
 मेल में डॉक्टर ने वीडियो के साथ अपना व्यक्तिगत नंबर भी भेजा था।

 मैंने अटैचमेंट डाउनलोड करके वीडियो को प्ले किया।

 डॉक्टर ने एक वीडियो काटकर भेजा था, जो ठीक वहां से शुरू हुआ जहां मैंने अपनी टॉप उतारा था।

 मैं आराम से बेड पर लेटकर वीडियो देखने लगा।

 उस डॉक्टर को वीडियो में मेरी चूत चाटते देखकर क्लिनिक का उत्साह फिर से जीवित होने लगा।
 मैं वापस क्लिनिक जाकर डॉक्टर से चुदवा लेना चाहता था।

 वीडियो में मैं तभी झड़ने लगा।
 जब मैं खुद को इतनी खुशी से झड़ते देखा, मेरा मन बेकाबू होने लगा।

 मैं अपनी चूत के नीचे तकिया खींचकर कमर चलाने लगी।
 तकिए को चूत पर रगड़ने में गजब का मजा आ रहा था।

 वह मेरे झड़ने के बाद वीडियो में मुझसे जबरदस्ती करने लगा।

 अब मुझे गुस्सा नहीं आ रहा था कि वह मुझे जबरन चुदाई कर रहा था; मुझे लगता था कि वह सब बहुत कामुक था।
 मेरी इच्छा थी कि तुरंत एक डॉक्टर आकर मुझे कुतिया बनाकर चोद दे।

 बाद में वीडियो अचानक कट गया और सीधे वहीं से शुरू हुआ जहां मैंने उसे टेबल पर रखा और उसका पैंट उतारा।

 उसने बीच का थप्पड़ वाला सीन काट दिया;  शायद उसे वह पसंद नहीं आया होगा।

 उसने मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चोदते हुए देखा तो मुझसे रहा नहीं गया।
 मैं सीधी लेट गया और आंखें बंद करके पैंटी में हाथ डालकर चूत में उंगली करने लगी।

 जब मेरी ब्लू फिल्म पूरी स्क्रीन पर चल रही थी, मैं आंखें बंद करके अपनी चूत सहलाने में मस्त थी।

 मैं भी नहीं जानता था कि मेरे पिता वहीं खड़े होकर मेरी हरकतें देख रहे थे।
 मैं अचानक सकपका गया जैसे ही पापा वहां खड़े हुए।

 Papa का गुस्सा स्पष्ट था।
 डर से मैं लैपटॉप लपककर बंद करने के लिए मुड़ी।

 पिताजी ने मुझे बालों से पकड़ लिया और लैपटॉप तक पहुंचने से पहले मुझे पीछे खींचते हुए कहा: "अब क्या शर्मा रहे हो, मादरचोद रण्डी?"  मैंने अब तक तुम्हारी सारी करतूतों को देखा है; क्या तुम्हें उसका लंड लेना बहुत अच्छा लगता था?  तुम्हारी आग मेरे लंड से बुझती नहीं है क्या?

 शायद मेरे पापा गुस्सा हो गए थे कि मैं एक पराए लंड से खेलता था क्योंकि उन्हें वह पसंद नहीं था।

 मुझे बहुत दर्द हुआ जब वे मेरे बालों को कसकर पकड़े।

 उसने अपनी बात समाप्त करते ही मेरे मुँह पर दो या तीन बार थप्पड़ मारा।
 थप्पड़ इतने तेज थे कि मेरा पूरा शरीर झनझना गया।

 मैं भी कुछ सेकंड के लिए सुनाई देना बंद कर दिया।
 लेकिन पिता उस समय भी कुछ-कुछ बके रहे थे।

 मजाक करते हुए, पापा ने मुझे बेड पर मुँह के बल पटक दिया और मेरी ब्रा और पैंटी फाड़ दी।

 तुम्हारी आग मैं शांत करूँगा, बहन।  रण्डी, मैं तुम्हारे साथ ऐसा बर्ताव करूँगा कि तुम्हारे जीवन में कोई भी लंड नहीं ले पाएगा! ’

 मुझे बार-बार गालियां देते हुए पापा ने अपनी बेल्ट निकाल दी और मुझे लात मारकर घोड़ी बनने को कहा।

 पिताजी का यह चेहरा देखकर मैं बहुत डर गया था, इसलिए मैं उनके कहते ही घोड़ी पोजीशन में आ गया।

 पिताजी ने मेरे बाल पीछे से पकड़े और बेल्ट बजाने लगे।
 बेल्ट की चोट इतनी तीव्र थी कि मैं चीख उठा।

 पिताजी ने मेरे चूचों पर दो थप्पड़ मारे और मेरा सिर बेड पर पटक दिया।

 फिर उन्होंने अपने पैंट और कच्छा उतार कर नंगे हो गए और मेरी ब्रा और पैंटी को मेरे मुँह में ठूँस दिया।

 मेरी आँखों से आंसू बह रहे थे और मेरी आवाज़ घुट चुकी थी।
 उसने वापस मुझे घोड़ी बनाकर मेरी गांड में अपना लंड डाला।

 फिर मेरे बालों को कसकर पकड़कर मेरी गांड चोदने लगे।
 उसने मुझे सिर्फ दस सेकंड ही चोदा था कि मेरी कमर पर बेल्ट तड़क गई।

 Papa मुझे जानवरों की तरह चोदते हुए मेरी कमर पर बेल्ट बजाते हुए मेरे ही अंतर्वस्त्र मेरे मुँह में ठूँस रहे थे।

 पिताजी का ऐसा रूप पहले कभी नहीं देखा था और मैं उनसे ऐसी उम्मीद नहीं करता था।
 मैं अपने पिता से बहुत प्यार करता था, लेकिन आज मुझे बिस्तर पर रंडी से भी बदतर तरीके से पीटा जा रहा था।

 यह विचार करते हुए मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी और बेल्ट की मार से मेरा दर्द बढ़ता जा रहा था।

 इस जबरदस्ती की चुदाई में मजा भी आ रहा था और सजा भी बहुत बुरी थी।

 मेरा शरीर इतनी जल्दी सहन नहीं कर पाया और मैं बेहोश हो गया।

 जब मैं होश आया तो पता चला कि मेरे पिता अब भी मेरे साथ बिस्तर में नंगे थे, लेकिन चित्र पूरी तरह से बदल गया था।

 वे मेरे हाथ-पैर सहला रहे थे और मुझे अपने सीने से चिपकाए बैठे थे।
 उन्हें शराब की महक भी आ रही थी।  मुझे आंख खोलते ही वे रोने लगे।

 मुझे पूरा मुँह चूमने लगे और मुझे अपनी बांहों में जकड़ लिया।
 मैंने भी उनकी गर्दन में अपनी बांहें डालीं और देर तक रोते रहे।

 मैं समझ गया कि पिताजी शराब पीकर अपनी नियंत्रण खो बैठे थे और अब जब वे शराब से दूर हो गए तो उन्हें पछतावा हो रहा था।

 जब हम दोनों शांत हो गए, पिता ने कहा, "मुझे माफ कर दे बेटी, मैं तुम्हें किसी दूसरे के साथ चुदवाते देखकर अपनी हिम्मत खो बैठा था।"  मैं ऐसा करना नहीं चाहिए था।  तुम मेरी बीवी हो या नहीं, तुम्हारी भी अपनी जिंदगी है।  मैं माफी चाहता हूँ, बेटी।

 मैं शांति से उनकी छाती से चिपकी रही और उनके मुँह पर हाथ रखकर चुप रहने का संकेत दिया।

 उन्हें मेरी शांतता बर्दाश्त नहीं हो रही थी।
 वे बार-बार माफी मांगते रहे और मेरी प्रतिक्रिया का इंतज़ार करते रहे।

 काफी देर बाद मैंने कहा कि मेरे पूरे शरीर में दर्द है!
 पिताजी झट से उठे और एक ग्लास पानी और एक पेनकिलर ले आए।
 मैं दवा खाने के लिए कहा गया और बाथरूम में घुस गया।

 तब तक मैंने दवाई खाई और वह बाथरूम में गीज़र चालू करके पानी गर्म कर रहा था।
 जब वे बाथरूम से नंगे निकले, वे मुझे अपनी गोद में उठा कर मुझे बाहर ले गए।

 वहां, मुझे कमोड पर बिठाकर गर्म पानी से सिकाई करने लगे।
 वे मेरे सामने खड़े थे और गर्म पानी से मेरे पूरे शरीर को सेक रहे थे, जबकि मैं चुपचाप बैठी रही।

 मैं सामने खड़े अपने पिता का मुरझाया लंड देख रहा था।
 मेरे पास न हिम्मत थी और न ही मेरा मन था कि कुछ गड़बड़ करूँ।

 जब मैंने शीशे की ओर देखा, तो मैंने देखा कि मेरे शरीर पर बेल्ट के स्पष्ट निशान उभर रहे थे।

 मैंने आंखें बंद करके पिताजी को काम करते रहने दिया।
 गर्म पानी से नहलाकर मुझे तौलिये में डालकर बेड पर ले आए और लिटा दिया।

 रात हो चुकी थी, इसलिए वह नंगे ही मेरे साथ कंबल में घुस गए और मुझे अपने हाथों से खाना खिलाया।

 मैं उनके शरीर से चिपका हुआ था।
 हम दोनों नंगे थे, इसलिए उनका लंड खड़ा था।

 न मैंने कुछ शुरू किया, न वे।

 पिताजी चुपचाप सो गए, अपने खड़े लंड को टांगों में दबाकर।

 अगले दिन, पापा ने ही मुझे चाय के लिए जगाया था।
 मैं चाय पी रही थी और पापा से कुछ नहीं कहती थी।

 पिताजी मुझसे बहुत प्यार से बोलते रहे, लेकिन मैं उनसे कुछ खास नहीं कहता था।

 Pappa की उस रात की हरकत से मुझे बुरा लगा और मैं अब इस दुर्घटना को एक अवसर में बदलना चाहता था।

 पिछले दो दिनों में मेरी रुसवाई ने पिताजी को पूरी तरह से टूट गया।

 शाम की चाय के दौरान वे मेरे पैरों में बैठकर रो पड़े, मेरी गोद में सिर रखकर माफी मांगते हुए कहा कि मैंने बहुत बड़ी गलती की थी।  मैं आत्मविश्वास रखता हूँ।  तुम्हारी सजा मुझे स्वीकार है, प्लीज मुझे माफ कर दे।  जो आप कहेंगे, मैं करूँगा..।  एक बार माफ करो।

 मैं- रहना आसान है!
 पिताजी, तुम्हारी और तुम्हारी मां की कसम!

 मैंने कहा कि विचार करो और फिर पीछे मत हटो।
 पिताजी, मैंने सोचा कि चाहे जान मांग ले!

 मैं—कुछ ऐसा भी हो सकता है, जिससे आपको गुस्सा आए!
 Papa, मैं अपनी गलती मानता हूँ और उसे सुधारने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ।

 मैं इसे सुनकर हँसने लगा।
 अब कुछ बोल भी, पिता ने कहा।
 बिना कुछ कहे, मैंने अपनी टांगें खोल दीं।

 पिताजी ने भी आगे सरककर मेरी जांघें चूमते हुए मेरी चूत पर मुँह रख दिया।

 उसने मेरी चूत पर गहरी सांस भरकर कहा, "बताओ न... तुम्हें क्या चाहिए?"
 मैं सोफे पर लेट गया और चूतड़ों से लोअर सरका दिया।

 सवालिया निगाहों से मुँह ताकते हुए, पापा ने लोअर को मेरी टांगों से अलग करते हुए मेरी अंदरूनी जांघों को चाटने लगा।

 पिताजी को नीचे से नंगा करने के लिए मैंने उनका लोअर कच्छे भी अपने पैर के अँगूठे से सरका दिया।
 मैंने पूछा कि क्या वह वीडियो में दिखाया गया लड़का याद है?

 हां में सिर हिलाकर मेरे पिता ने मेरी पैंटी भी चूतड़ों से नीचे सरका दी।

 वह डॉक्टर है, जिसने कॉपर-टी पहनी थी, मैंने कहा, टांगें उठाकर पैंटी निकालने की जगह दी।

 Papa बस अपनी दोनों टांगों को फैलाकर मेरी चूत की ओर बढ़ गया।

 तीन दिन बाद, पापा का लंड मेरी टांगों के बीच घुसने की उत्तेजना में अकड़ गया।

 "मैं चाहता हूँ कि तुम उससे मिलो"
 पिताजी ने चूत चाटते हुए ही पूछा: क्यों?

 मैंने पापा के बालों में अपनी उंगलियां फिरोईं और उनका सिर अपनी चूत पर दबाते हुए बम गिराया—मैं चाहता हूँ कि आप उसका लंड अपने हाथों से पकड़कर मेरी चूत में डाल दें!

 यह सुनते ही पापा ने रुककर मेरा मुँह देखने लगा।

 मैंने पूछा: क्या हुआ?  मैंने पहले कहा था कि मैं आपसे नहीं होगा!
 पिताजी: नहीं..।  ऐसा नहीं है, फिर भी..।

 मैं, फिर भी क्या?
 पिताजी, क्या तुम मुझे जिस जेल पर गुस्सा आया था, उसके सामने झुकाना चाहते हो?
 मैं पूछना चाहता हूँ कि क्या आपको उस बंदे पर गुस्सा आया या आपको अपनी निजी रांड के मुँह में किसी बाहरी व्यक्ति का लंड देखकर गुस्सा आया?

 Papa, मैंने उसके लिए माफी मांगी है।
 सॉरी कहने से हकीकत नहीं बदलती!

 इतना बोलकर मैं पैंटी और लोअर उठाकर कमरे में आ गई।

 अगले ही क्षण, पापा भी कमरे में आ गए और मुझे पीछे से पकड़ा।
 वे मेरी गर्दन चूम रहे थे और उनका कड़क लंड मेरी कमर में चुभ रहा था।

 मैं ऐसे ही खड़ा रहा।
 मुझे पीछे से उठा लिया और मेरे दोनों चूतड़ पकड़ लिया।

 मैंने अपने आप को संभालने के लिए पापा की गर्दन में बाहें डालते हुए पूछा, "आपको सिर्फ एक रांड चाहिए या अपनी प्यारी बेटी?"

 Papa, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?
 मैं पूछता हूँ कि आपने जो कुछ किया, वह क्यों किया?

 पिताजी ने कहा, "अरे, तुम्हें उससे चुदवाना है, तो जाकर चुदवा ले।"  मैं अब अपने आप को बुरा नहीं मानूँगा।  मैं बीच में क्यों है?

 पिताजी के होंठों पर होंठ रखते हुए मैंने एक हाथ छोड़कर उनकी चूत पर लंड सैट किया और फिर हल्का-सा दबाव देकर सुपाड़ा अपनी चूत में ले लिया।

 उसने मेरी इस कार्रवाई से सिहरन उठाया और मेरे चूतड़ों को पकड़ने की कोशिश की।
 लेकिन मैंने उनकी कोशिश को विफल कर दिया, अपनी कमर उठाकर।

 एक भूखे पिल्ले की तरह वे मेरी आंखों में देखा और पूछा, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?
 मैं: तुम मेरे पापा हो, इसलिए तुम्हारे ऊपर कन्यादान का दायित्व है।  मैं चाहता हूँ कि आप उस डॉक्टर का लंड अपने हाथों से अपनी कन्या की चूत में डाल दें।

 ऐसा कहकर मैंने सुपाड़ा वापस अपनी चूत में डाल दिया।
 अब तक पिता ने समझा था कि मैं पूरा लंड अंदर नहीं डालूँगा।

 Papa, क्या तुम उस डॉक्टर को बताना चाहते हो कि हम दोनों एक-दूसरे की शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करते हैं?

 मैं उसे बताना चाहता हूँ कि हम एक पिता-बेटी हैं!
 पिताजी कुछ देर सोचकर पूछा, क्या तुम अपने पिता के साथ थ्रीसम करना चाहती हो?

 मैंने मुस्कुराते हुए अपने कमर हल्के से चलाई, जो लंड के सुपाड़े पर रगड़ पड़ा, और पूछा: तो फिर आपका क्या जवाब है?
 पिताजी, स्पष्ट रूप से, मैं तुम्हें धन्यवाद देना चाहता हूँ...।  क्या आप एक साथ दो लंड चाहते हैं?

 मैं सिर्फ मुस्कुराने लगी, कुछ नहीं बोली।
 मैंने टोप हटा कर अपने चूचे को स्वतंत्र कर दिया।

 मैंने अपने दोनों चूचों को पापा की आंखों के सामने हिलाते हुए कहा कि मैं बचपन से जो भी चाहिए होता, आपसे ही मांगती थी।  एक पिता ही अपनी बेटी की इच्छा पूरी कर सकता है।  Papa, आज आप अपनी बेटी को जो चाहिए, वह देंगे ना?  प्यार, पिता!

 Papa ने सिर्फ सहमति में मुस्कुराते हुए गर्दन हिला दी और कुछ नहीं कहा।

 मैंने खुश होकर पापा का लंड अपनी चुत की जड़ तक ढीला छोड़ दिया।

 हर्षित होकर पापा मेरी गर्दन में दाँत गड़ाते हुए मुझे बेतहाशा चोदने लगे।

 आज मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं उन्हें पहली बार देख रहा हूँ या फिर कभी नहीं मिलूँगा।

 पिताजी मुझे चोदने में इतने मगन थे कि उन्होंने अपना गर्म, गर्म माल मेरी चूत में छोड़ दिया बिना कुछ देर गंवाए।

 डॉक्टर ने कॉपर-टी भी लगाया था, इसलिए गर्भ ठहरने का कोई खतरा नहीं था।

 उस डॉक्टर को इनाम देना ही बाकी था।

 उस रात हम नंगे ही लिपटकर सो गए और तीन बार चुदाई की।

 अगली बार मैं आपको पापा के हाथों से "अपनी कन्या की चूत गैरमर्द के लंड को दान" की सेक्स कहानी सुनाऊंगा।
 यह गर्ल ऐस्स फक कहानी आपको कैसी लगी? लिखकर बताओ।

 तुम्हारी प्यारी और अपने पिता की रखैल, स्वीटी पुरोहित

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