दीदी और माँ के साथ चुदाई का खेल
हमारे परिवार में खुला सेक्स होता है, जैसा कि बाप बेटी Xxx कहानी बताती है। रोज रात मेरे कमरे में मेरी मम्मी सेक्स करने आती हैं। मैं भी अपनी बहन को चोदता हूँ।
दोस्तो, मैं बहुत दिनों से कोई सेक्स कहानी नहीं लिख पाया था, इसके लिए मुझे खेद है।
आप नई चुदाई की कहानी लिखने के लिए बहुत से लोगों से संपर्क कर रहे थे।
पिछली कहानी से आप लोग जानते हैं कि मैं एक चुदक्कड़ लड़का हूँ।
मैं सिर्फ किसी की चूत चाहता हूँ।
यह बाप-बेटी Xxx कहानी मेरी माँ शालिनी और बड़ी दीदी नेहा की है।
इस समय मेरी माँ की उम्र पाँच सौ से अधिक है।
इसके बावजूद, वह अपने आप को मेंटेन रखती हैं।
यद्यपि आप लोग मेरी माँ की हाइट के बारे में जानते हैं, मैं कुछ और बताना चाहता हूँ।
मेरी माँ की गांड और चूची! जब मेरी प्यारी रंडी माँ नीचे झुकती है, तो मुझे लगता है कि मैं चूची का सारा रस निकाल दूँ।
पीछे से उनकी गांड का अलग नजारा है, जो लंड को खड़ा कर देता है।
नेहा दीदी की चूची और चौड़ी गांड माँ की तरह हैं।
वर्तमान में घर पर पापा, मेरी रंडी माँ और मैं रहते हैं।
भाभी भैया के पास हैं, और दीदी अपने घर में हैं।
चाहे घर हो या बाहर, मेरी माँ सिर्फ साड़ी पहनती है. कई सालों से वह ब्रा और पैंटी नहीं पहनती है।
बहुत बोलने पर ही कोई दूसरा कपड़ा पहनता है।
अगर आप माँ को चोदना चाहते हैं, तो उनकी साड़ी ऊपर करो और उनकी चूत को चोद लो।
मेरी रंडी माँ हर दिन दो-दो लंड की देखभाल करती है।
माँ और पापा हर रात चुदने के बाद मेरे पास आते हैं।
एक दिन, माँ मेरे पास रात को चुदने नहीं आई।
तो मैं अपने पिता के कमरे में गया।
वहाँ माँ अकेले लेटी हुई थीं।
माँ की टाँगें खुली थीं और गांड के नीचे तीन तकिए थे।
“आओ, मुझे मन भर पेलो!” माँ की पाव रोटी की तरह फूली चूत ने कहा। “अंकित के पास जाना है, या यहीं आराम करोगी?” पिता ने पूछा। ”
“कितने दिनों बाद जमकर तुम्हें चोदा है!” पिता ने फिर कहा। मुझे कोई और चूत नहीं मिल रही, तुम्हारे पास एक नया लंड है! “नहीं, मैं अंकित के कमरे जा रहा हूँ! और मैं आपके लिए एक अतिरिक्त चूत भी बनाऊँगी! ”
जैसा कि आप पिछली कहानी से जानते हैं, घर में बड़े भैया को छोड़कर सभी एक-दूसरे की चुदाई करते हैं।
फिर माँ उठकर मेरे पास नंगी ही आने लगी।
मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया और कमरे में लाकर सुला दिया जैसे ही वे बाहर निकल गईं।
“शालिनी डार्लिंग, आज कुछ ज्यादा चुदी हो! “मैं तो हर दिन चुदती हूँ!” माँ ने कहा। आज मैं कम चुदी हूँ, लेकिन मेरे बुर, चूची और गांड में दर्द ज्यादा है! ”
“शालिनी डार्लिंग, तुम्हारी गांड देखकर यही मन करता है कि इसमें बांस डालकर फाड़ दूँ!” मैंने कहा। तुम्हारी चौड़ी, मोटी, चिकनी गांड पर बांस डालकर चीखो-चिल्लाओ, तो कानों को बहुत सुकून मिलेगा! “मन है, तो डाल लो!” माँ ने कहा। मैं नहीं रुकूँगा! भले ही मेरी जान चली जाए, मैं जिससे चुदती हूँ, उसे पूरा मजा मिलता है! ”
“डार्लिंग, तुम्हें तो बुढ़ापे तक चोदना है!” मैंने उनकी उंगलियाँ चूमते हुए कहा। “बेटा, मुझसे वादा करो कि जब तक मैं जिंदा हूँ, तुम मुझे चोदोगे, भले ही मैं उतना मजा न दे पाऊँ,” माँ ने कहा। “हाँ, मैं तुम्हें पूरी जिंदगी चोदूँगा! ”
“सच में, तुम्हें मेरी गांड में बांस डालने का मन करता है?” माँ ने पूछा। “मन तो करता है, लेकिन तुम मेरी जान हो!” मैंने कहा। मैं अपनी जान को कैसे चोट पहुंचा सकता हूँ? ”
फिर मैंने पूछा, "पापा ने ऐसा क्या किया कि मेरी रंडी माँ की इतनी हालत खराब हो गई?" “आज मेरी चूची को बहुत बुरी तरह मसला, और गांड में एक मोटी मूली डालकर चूत को पेला!” माँ ने कहा। मैंने कहा, "तभी तो मेरी डार्लिंग का बुरा हाल था!" ”
फिर मैंने अपने ऊपर माँ को सुलाया।
हम दोनों पूरी तरह से नंगे थे।
“तुम्हारे पापा चोदते समय सिर्फ अपना मजा देखते हैं, मेरा ख्याल नहीं कि मुझे मजा आ रहा है या नहीं!” माँ ने कहा। और मैं चाहता हूँ कि जो मुझे चोदे, उसे बहुत मज़ा आए! इसलिए मैं चुदती हूँ क्योंकि मुझे दर्द होता है। हर कोई एक खूबसूरत महिला को चोदना चाहता है! ”
फिर मैंने माँ को कुतिया बनाकर जीभ से उनकी गांड के छेद को चाटने लगा ताकि वे कुछ आराम करें।
माँ ने भी आराम से चटवाया।
“बस बेटा, ऐसे ही चाटते रहो! “मेरी प्यारी रंडी, बेटा नहीं, भतार बोल! तुम मेरी पत्नी नहीं, मेरी माँ हो! तुमने सिन्दूर माँग में डालकर ही चोदना शुरू किया है! ”
“हाँ, मेरे चोदू भतार! ”
फिर मैंने उनकी गांड को पंद्रह से बीस मिनट तक चाटा।
माँ को चटवाना भी अच्छा लगता था।
फिर मैंने एक ही धक्के में उसी गांड में अपना लंड आधा घुसा दिया।
माँ चिल्लाई।
यह चीख बहुत सुखद है!
फिर मैं धीरे-धीरे माँ की गांड मारने लगा।
माँ की चौड़ी गांड ने मेरे पूरे लंड को भर लिया।
फिर मैंने उनकी चूत में लंड को गांड से बाहर निकाला।
माँ की चूत में पूरा लंड चला गया।
इतना लंड लेने के बाद भी माँ थक गई।
माँ ने कुछ मिनट पेलने के बाद पानी छोड़ दिया।
मैंने भी माँ की चूत में अपना पानी छोड़ दिया और मेरा लंड भी जवाब दे गया।
फिर मैंने अपने ऊपर माँ को सुला लिया।
मेरे होंठ माँ चूसने लगीं।
“तेरा होंठ मुझे बहुत अच्छा लगता है!” माँ ने कहा। ”
थोड़ी देर चूसने के बाद माँ ने पूछा, “यदि फिर से पेलना है, तो लंड चूसकर तैयार करूँ?” “नहीं, अब सो जाओ और आराम करो! ”
फिर हम दोनों कुछ करते हुए सो गए।
जब मैं उठ गया, तो मैंने देखा कि माँ अभी भी मेरे पास नंगी सो रही थीं।
लगभग छः बजे था।
फिर मैं सो गया।
माँ को नींद खुली थी।
मोबाइल पर समय देखा तो लगता था कि 8:27 हो गया था।
फिर मैं खुश होकर बेड पर फोन चलाने लगा।
मैं कमरे से बाहर निकलते ही पापा को बैंक जाने के लिए तैयार देखकर माँ को फोन किया।
मैं जानता था कि पापा हर दिन की तरह माँ को कुतिया पोज में खड़े-खड़े चूत पेलने के बाद ही चले जाएंगे।
माँ घर से बाहर आईं, सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहने हुए।
वह अपने पिता के सामने बैठ गईं।
मैं ऊपर से देख रहा था।
पहली बार मैंने पापा को माँ के होंठ चूसते देखा।
कुछ मिनट बाद, पापा ने माँ का ब्लाउज खोला और उनकी मोटी चूचियों को मसलने लगा।
माँ का दर्द स्पष्ट था।
“आज चूत नहीं पेलेंगे क्या?” माँ ने पूछा। पिताजी ने कहा, “नहीं! तुम्हारी चूचियों से खेलने में बहुत दिन हो गए! ”
फिर पिता ने अपना लिंग निकालकर अपनी माँ को दिया।
माँ ने उसे मुँह में लेकर चूस-चूसकर उसका रस पी लिया।
फिर पिता कार्यालय चले गए।
उसी स्थान पर माँ लेट गई।
माँ कुछ समय बाद नहाने चली गई।
मैं बाथरूम में गया और कहा, “शालिनी डार्लिंग, नंगी ही आना! ”
माँ नहाने के बाद बाथरूम से नंगी निकली।
“शालिनी डार्लिंग, आज नंगी रहकर सारा काम करना!” मैंने कहा। ”
माँ को पता था कि मैं सिर्फ उनकी मटकती गांड और चूची देखना चाहता हूँ।
इसलिए उन्हें गांड मटकाते हुए चलना पड़ा।
मैं अपने कमरे में रह गया, जबकि माँ नंगी ही किचन में खाना बनाने चली गईं।
मुझे खाने के लिए माँ ने बुलाया।
हम दोनों ने मिलकर भोजन किया।
मैं फिर अपने कमरे में चला गया।
“जल्दी आना, सुबह से तुम्हें पेला नहीं हूँ!” मैंने माँ से कहा। ”
माँ पेलवाने के लिए कमरे में आईं।
माँ को अपने ऊपर सुलाकर मैंने उनकी चौड़ी, चिकनी गांड को सहलाने और दबाने लगा।
“अंकित, तुम्हारे पापा को नई चूत चाहिए,” माँ बोली। मुझे बता रहे थे! मैंने कहा, "नेहा दीदी को फोन करो!" पिताजी ने नेहा दीदी को भी नहीं पीटा है! बाप को अपनी बेटी को पीना उतना ही अच्छा लगता है जितना माँ को पीना! “ठीक है! ”
फिर मैं माँ के चमकदार होंठों को चूसने लगा।
रसपान करने के बाद मैंने माँ को नीचे सुलाकर उनकी टाँगें चौड़ी कीं और धीरे-धीरे अपना लंड उनकी सुंदर चूत में डालने लगा।
वह पेलते समय माँ की मोटी चूचियों को देखने में अधिक मज़ा लेता था।
मैंने उसी चूची को दो या तीन बार जोर से पीटा।
माँ भी उत्साहित हो गईं।
“फाड़ दे इस चूत को!” माँ ने कहा। ”
मैंने इसे सुनकर तेजी से पेलने लगा।
प्रयोग के दौरान मैंने माँ की गालों पर दो या तीन थप्पड़ मारे।
मेरा पानी माँ की चूत में ही बह गया।
मैं सिर्फ माँ के ऊपर सो गया।
मेरे बाल माँ ने हाथों से सहलाने लगे।
“नेहा को मैंने पहले ही फोन पर सारी बात बता दी है!” माँ ने कहा। आज शाम तक वह आ जाएगी! मैंने कहा, "ठीक है!" ”
नेहा दीदी अब इंतजार कर रही थी।
फिर मैं कपड़े पहनकर निकला।
थोड़ी देर बाद घर आया तो देखा कि माँ अभी भी नंगी सो रही थीं।
“अब तो कपड़े पहन लो!” मैंने अपनी माँ को जगाकर कहा। “पहले सो लेने दो!” माँ ने कहा। आप अपने बेटे को रात को सोने नहीं देते! मैंने कहा, "ठीक है!" ”
फिर मैं कमरे से निकल गया।
मैं तभी अपने एक दोस्त से मिलने निकला।
उसने मिलकर घर आते ही देखा कि नेहा दीदी अपने बच्चों के साथ आ चुकी थीं।
आप नेहा दीदी की पिछली कहानी जानते हैं, जिसमें उसने बड़ी दीदी को नंगी नचाया और फिर चूत चोदी लगाई।
भी बताना चाहता हूँ। वास्तव में, नेहा दीदी का रंग दूध की तरह सफेद है।
वह अभी भी दुधारू हैं और माँ की तरह मोटी हैं।
मतलब, अभी भी उनकी चूचियों से दूध निकलता है।
माँ की तरह चौड़ी उनकी गांड भी है।
मैं नेहा दीदी से पूछा, “आने में कोई समस्या तो नहीं हुई?” ”
“बस पकड़कर बस अड्डे तक आई, और वहाँ टेंपो रिजर्व करके यहाँ आ गई!” दीदी ने कहा। ”
तब मैंने नेहा दीदी के दोनों बच्चों को खाना खिलाना शुरू किया।
नेहा दीदी दो बच्चों की माँ हैं।
दीदी सज्जित होकर आई थीं।
वो लाल साड़ी में बेहद खूबसूरत दिख रही थीं।
“इन दोनों बच्चों को दूसरे कमरे में ले जाओ!” मैं दीदी के बगल में बैठकर माँ से कहा। ”
दोनों बच्चों को माँ किसी तरह बाहर ले गई।
मैंने दीदी से पूछा, “डार्लिंग, क्या हाल है?” “हाल तो ठीक है! मैं सिर्फ आपको दुखी करने आया हूँ! ”
फिर मैंने नेहा दीदी के मोटे, पपीते जैसे होंठ चूसने लगे।
फिर मैंने अपनी प्यारी रंडी बहन को कुतिया बनाया, उनकी साड़ी ऊपर करके।
वह उनकी चौड़ी, उजली गांड को देखकर चकित हो गया।
मैंने सोचा कि मैं पहले इसे कुछ पीड़ा देता हूँ। मैंने उनकी गांड को जोर-जोर से चार-पाँच थप्पड़ मारकर लाल कर दिया।
“मारना है, तो लंड से मारना!” दीदी गाली देने लगी। “यह सुनकर मैंने उनकी चूत पर जोरदार शॉट मारा।
दीदी चिल्लाई।
ये चीख सुनकर मैं बहुत खुश हो गया।
“आराम-आराम से चोद ना! ”
फिर मैं अपनी प्यारी दीदी को आराम से चोदने लगा।
दीदी भी खुश होने लगी, मुँह से सिसकारियाँ लेने लगी।
फिर उन्होंने अपनी चूत का पानी बाहर फेंक दिया।
मैं भी कुछ समय बाद उनकी चूत में अपना पानी छोड़कर वहीं सो गया।
मेरे ऊपर भी दीदी सो गईं।
“आज रात बुरी तरह चुदोगी!” मैंने दीदी को बताया। ”
“हाँ, चुदने ही तो आई हूँ!” दीदी ने कहा। ”
पिताजी शाम को आए।
“नेहा, तैयार हो ना?” माँ ने कमरे में घुसकर पूछा। “हाँ, मैं तैयार हूँ!” दीदी ने कहा। ”
“पैंटी निकालकर जाना! “आज मैंने पैंटी पहनी ही नहीं है!” दीदी ने कहा। ”
माँ फिर चली गई।
रात में सभी ने भोजन किया।
दीदी अपने पिता के कमरे में चली गई, जबकि माँ मेरे कमरे में चली गई।
मैंने अपना सिस्टम खोलकर पिताजी के कमरे का कैमरा चालू किया जब मैंने देखा कि दीदी अभी अकेली थीं।
मैंने माँ को पहुँचाया।
“लो, अपनी बिटिया को! माँ पापा को कमरे में ले गई और कहा तुम्हारे मन की तरह चोदो! ”
उस समय, दुल्हन की तरह बैठी दीदी की आँखें बंद थीं।
माँ फिर वहाँ से चली गई।
पिताजी दीदी से मिलने गए।
“क्या करूँ, चुदाई में मैं रिश्ते भूल जाता हूँ!” पिता ने कहा। ”
फिर पूरी तरह नंगे होकर पिता ने कहा, “आँखें तो खोलो! दीदी ने अपना मुख खोला।
दीदी ने पापा के होंठ चूसने लगे।
फिर दीदी को पूरी तरह से नंगा कर दिया।
दीदी के शरीर को कमरे में खड़ा करके देखने लगे।
फिर दीदी को बेड पर सुलाकर उनकी चूचियों को दबाने लगे और दूध पीने लगे।
दीदी भी रोने लगी।
मेरे कमरे में माँ आ गईं।
फिर माँ और मैं चुदाई देखने लगे।
पिताजी ने दीदी की गाल सहलाते हुए उसके मुँह में अपना मोटा लंड डाल दिया।
दीदी धीरे-धीरे लंड चूसने लगी।
पति ने कुछ मिनट चूसने के बाद लंड निकालकर दीदी की चूत में जोरदार झटका मारा।
दीदी चिल्लाने लगी।
पापा पेलते रहे, दीदी चीखती रही।
पापा के हर शॉट पर दीदी की मोटी चूचियाँ ऊपर-नीचे हिलती थीं।
Papa दीदी को चोदते हुए गंदी गालियाँ देते रहे।
धीरे-धीरे दीदी को भी चुदाई करना अच्छा लगने लगा।
चीखों की जगह उन्हें आहें भरने लगी।
फिर पापा ने धीरे-धीरे दीदी की चूत में अपना पानी डाला।
पिताजी ने दीदी को अपने ऊपर सुलाकर प्रकाश को बंद कर दिया।
मैंने ऑनलाइन कैमरा भी बंद कर दिया।
फिर मैंने अपना लंड माँ की चूत में डालकर उन्हें चोदा।
मैं भी माँ को चोदने के बाद सो गया।
वह सुबह उठकर दीदी के बच्चों के साथ थी।
बच्चे अपनी माँ से प्रश्न कर रहे थे।
वे नहीं जानते कि उनकी माँ चुद रही थी!
जब मैं पापा की कमरे में गया, तो मैंने देखा कि दरवाजा खुला था।
दीदी की चीखें निकल रही थीं जब बाप बेटी Xxx करते हुए पापा की गांड मार रहे थे।
Papa गांड मारकर सो गया।
नंगी ही मेरे कमरे में आई दीदी ने कहा, “पापा जानवरों से भी बुरे चोदते हैं! मेरा शरीर पूरी रात खेलता रहा! ”
दीदी ने कहा, “रात भर मेरी गांड में प्लास्टिक का मोटा लंड डालकर रखा था! और वे अपनी चूचियों को ऐसे दबा रहे थे, मानो वे उन्हें मार डालने वाले थे! पिताजी ने दवा खाकर पूरी रात पेले हैं! ”
“मैं कभी इतनी बुरी तरह चुदी नहीं हूँ! ”
दीदी को कुछ राहत मिली जब मैंने तेल लगाकर पूरे शरीर पर मालिश की।
Papa ऑफिस जा चुके थे जब मैं कमरे से निकला।
मैं अपनी माँ से कहा, “आओ, दीदी के पास! ”
मैं और माँ दीदी गए।
सुबह से मैंने किसी को चोदा नहीं था।
“दीदी को अपना शरीर चखाओ, और तुम भी चखो!” मैंने अपनी माँ से कहा। ”
“कितने दिन बाद आज मैं भी किसी को चोदूँगी!” माँ ने कहा और दीदी के होंठ चूसने लगी। “हाँ, चोद लो! ”
माँ ने दीदी की एक चूची मुँह में लेकर पीना शुरू किया।
दीदी आहें भरने लगीं।
“शालिनी डार्लिंग, पहले नंगी हो जाओ! माँ बिल्कुल नंगी हो गई।
माँ दीदी के ऊपर सोकर उसके स्तनों से खेलने लगी।
मेरी रंडी माँ दीदी का दूध पी रही थी।
फिर धीरे-धीरे माँ दीदी की चूत की ओर बढ़ीं।
माँ ने अपनी जीभ से दीदी की चूत चाटना शुरू किया।
दीदी रोने लगी।
फिर माँ ने दीदी की चूत को अपनी उंगली से चोदना शुरू किया।
यहाँ मेरी हालत खराब हो गई।
मैं अपना लिंग खेल रहा था।
मैंने माँ को हटने को कहा और दीदी की चूत में अपना लंड डाल दिया।
मैं दीदी को जोर से पीने लगा।
धीरे-धीरे मेरे एक-एक झटके से दीदी खुश होने लगी।
“फाड़ दे इस चूत को!” दीदी ने कहा। ”
यह सुनकर मैं झटपट चोदने लगा।
दीदी कुछ ही समय बाद पानी छोड़ दी।
प्रयोग के कारण मैं भी पानी छोड़कर माँ के ऊपर सो गया।
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