होली पर बबिता भाभी की चुदाई

होली का दिन था, और गोकुलधाम में सब लोग होली मना रहे थे। सब लोग बाहर थे, और होली खेल रहे थे। सब ने सफेद रंग के कपड़े पहने थे, जो रंगों से भरे पड़े थे। जेठालाल ने सब को भांग पिलाने का सोचा, और बाघा को भांग बनाने के लिए कहा।

फिर सब लोगों ने भांग पी। भांग थोड़ी ज्यादा असरदार थी, जिससे सब को हल्का नशा हो गया। इससे सब को और मजा आने लगा, और सब ऊंची आवाज में चल रहे गानों पर झूमने लगे।

लेकिन जेठालाल की नज़र तो हमेशा की तरह अपनी बबिता भाभी पर थी। बबिता ने लेगिंग्स-कुर्ती वाली ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें उसके पूरे बदन की शेप नज़र आ रही थी। ऊपर से उसके कपड़े भीग चुके थे, जिससे उसके कपड़ों में से उसकी स्किन हल्की-हल्की दिखने लगी थी। अब नीचे पहनी हुई ब्रा भी नज़र आ रही थी।

फिर सब लोगों ने भांग पी। भांग थोड़ी ज्यादा असरदार थी, जिससे सब को हल्का नशा हो गया। इससे सब को और मजा आने लगा, और सब ऊंची आवाज में चल रहे गानों पर झूमने लगे।

लेकिन जेठालाल की नज़र तो हमेशा की तरह अपनी बबिता भाभी पर थी। बबिता ने लेगिंग्स-कुर्ती वाली ड्रेस पहनी हुई थी, जिसमें उसके पूरे बदन की शेप नज़र आ रही थी। ऊपर से उसके कपड़े भीग चुके थे, जिससे उसके कपड़ों में से उसकी स्किन हल्की-हल्की दिखने लगी थी। अब नीचे पहनी हुई ब्रा भी नज़र आ रही थी।

तभी बबिता पर किसी ने रंग भरा पानी डाल दिया, जो उसकी आंखों में चला गया। इससे उसकी आंखों में जलन होने लगी, तो आंखों को पानी से धोने के लिए वो अपने घर की तरफ चल पड़ी। जेठा सब देख रहा था कि बबिता क्यों अंदर जा रही थी। फिर जेठा ने अय्यर की तरफ देखा, तो वो भांग पी कर टुल बैठा था। यहां पर जेठालाल को साफ-साफ मौका दिख रहा था, तो जेठालाल भी जल्दी से सब से नज़र बचा कर बबिता के पीछे चला गया।

बबिता अभी दरवाजे तक ही पहुंची थी कि जेठा ने उससे पूछा कि वो वापस क्यों जा रही थी। बबिता ने जेठा को अपनी आंखों की दिक्कत बताई, तो जेठा भी उसकी मदद करने का बोल कर उसके साथ चला गया।

वो दोनों अंदर बाथरूम में चले गए। वहां बबिता वाशबेसिन के सामने झुक कर अपनी आंखों में पानी डालने लगी। बबिता की आँखें जल रही थी, तो वो आह आह कर रही थी। तभी जेठालाल उसको हौंसला देने के लिए उसकी पीठ पर हाथ फेरने लगा। धीरे-धीरे बबिता की आँखें में गया रंग साफ होने लगा, और उसको आराम मिलने लगा।

तभी जेठालाल उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए अपना हाथ उसकी गांड पर ले गया। उसने हाथ बबिता के चूतड़ पर रखा, और उसको मसल दिया। इससे बबिता उछल गई, और वो समझ गई कि जेठा उसके पीछे क्यूं आया था। बबिता ने जेठा को कुछ नहीं कहा, और ऐसा दिखाया जैसे उसको कुछ पता ही ना चला हो। उधर जेठा की हिम्मत बढ़ी, और उसने चूतड़ और जोर से दबाया।

इस बार बबिता के मुंह से आह निकली, और वो सीधी हो कर जेठा की तरफ मुड़ी और बोली-

बबिता: ये क्या कर रहे है आप जेठा जी?

जेठा बोला: बबिता जी, पीछे का नज़ारा इतना अदभुत है, कि मैं अपने आप पर कंट्रोल ही नहीं कर पाया।

बबिता: अच्छा, अगर आप कंट्रोल नहीं कर पा रहे, तो क्या मुझे नंगी कर दोगे?

जेठालाल: भाभी अगर आप हां कहें, तो जरूर कर दूंगा।

बबिता की चूत भी काफी दिनों से प्यासी थी, ऊपर से उस पर भांग का हल्का नशा भी था। ये दोनों चीजें मिल कर बबिता के दिमाग में चढ़ गई, और बबिता बोली-

बबिता: तो उतार दीजिए ना, रोका किसने है?

ये सुनते ही जेठा नीचे घुटनों पर बैठ गया, और बबिता की लेगिंग्स पकड़ कर नीचे खींच दी। लेगिंग्स उतरते ही बबिता की सेक्सी जांघें जेठा के सामने आ गई। बबिता ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, जो भीगने की वजह से थोड़ी गीली थी। जेठा ने जल्दी से पैंटी भी नीचे की, और बबिता की चिकनी चूत पर अपना मुंह लगा दिया।

बबिता: आह जेठा जी, चूसिए आह, बुझा दीजिए मेरी इस चूत की प्यास को आह।

जेठा बबिता की तड़प देख कर पागल हो गया, और कुत्तों की तरह उसकी चूत चूसने लगा।

बबिता: आह आह जेठा, साले बहन के लोड़े, जीभ अन्दर डाल मेरे कुत्ते। जब देखो मेरी गांड देखता रहता है भड़वे। आज मिली है तो मजा लेले, और रंडी बना कर चोद मुझे ठरकी भड़वे।

ये सब सुन कर जेठा और जोश में आ गया। उसने अपने हाथ से बबिता की चूत को मसलते हुए चूसा, और फिर उस पर थप्पड़ लगाया। इससे बबिता के मुंह से आह निकल गई। फिर बबिता ने खुद ही अपनी कुर्ती निकाल दी, और अब वो सिर्फ ब्रा में थी।

जेठा जल्दी से खड़ा हुआ, और बबिता के होंठों से अपने होंठ मिला कर उसके होंठ चूसने लगा। वो अपने हाथ बबिता की पीठ पर फेरने लगा, और उसने बबिता की ब्रा खोल कर निकाल दी। अब वो बबीता के चूचे जोर से मसलने लगा, और उन पर थप्पड़ मारने लगा।

जेठालाल: साली रंडी कुतिया, छिनाल, जब देखो पूरे मोहल्ले में अपनी गांड और चूचे मटकाती फिरती है। तेरी चूत की गर्मी कभी कम ही नहीं होती साली कुलटा कहीं की।

ये बोल कर जेठा ने बबिता को उठा कर वाशबेसिन पर बिठाया, और अपना पजामा नीचे करके अपना लौड़ा बाहर निकाला। फिर उसने लौड़ा बबिता की चूत पर रखा, और एक ही झटके में पूरा पेल दिया।

बबिता: आह मादरचोद, मजा आ गया। दिखा बहन के लौड़े जेठा, कितना दम है तेरे इस लंड में। साले चंपकलाल की नाजायज औलाद। चोद मुझे आह आह आह।

जेठालाल ने बबिता के चूतड़ों पर कस के पकड़ बनाई, और धक्के पे धक्का मार कर उसकी चूत चुदाई करने लगा। साथ में वो बबिता के निप्पल भी चूसता और काटता। बबिता आह आह आह करने सिसकियां भर रही थी। फिर बबिता ने अपनी टांगें जेठालाल की कमर पर लपेट ली, और जेठालाल ने उसको हवा में उठा लिया। अब बबिता हवा में ही जेठालाल के लंड पर उछल रही थी। उसकी चूत के बहते पानी की वजह से चुदाई के दौरान चप-चप की आवाजें आ रही थी।

जेठालाल उसको उसके बेडरूम में ले गया, और बेड पर जा कर पटक दिया। बबिता बेड पर जोर से गिरी, और घूम गई। जेठा उसके सीधे होने से पहले ही उस पर कूद पड़ा, और उसके उल्टे लेटे हुए ही उसकी गांड के छेद पर अपना लंड लगाया, और पेल दिया। बबिता दर्द से तड़पने लगी।

जेठालाल: हरामजादी, अभी तो बहुत चहक रही थी कि दम दिखाओ। अब क्या हो गया रंडी?

बबिता: आह दर्द हो रहा है, बाहर निकालो इसको आह। चूत में डाल लो ना।

जेठा ने उसकी एक ना सुनी, और उसकी गांड चुदाई करता रहा। उसके वजन के नीचे बबिता दबी हुई थी, और हिल भी नहीं पा रही थी। कुछ देर में बबिता की गांड खुल गई, और उसको मजा आने लगा। वो आह आह आह करने लगी। ऐसे ही जेठा उसके ऊपर लेट कर 20 मिनट उसकी गांड मारता रहा। साथ में वो उसकी पीठ चूमता, चाटता, और उसको खरोंचता रहा। उसके बाद जेठा ने उसकी गांड में ही अपना माल छोड़ दिया।

फिर कुछ देर लेटने के बाद जेठा कपड़े पहन कर बाहर सब के बीच आ गया। बबिता भी उसके पीछे-पीछे बाहर आ गई। दोनों ऐसे दिखने लगे जैसे कुछ हुआ ही ना हो।

Firstsexstories image1

Leave a Comment