फेसबुक फ्रेंड के साथ किया सेक्स

11वीं क्लास पास करने के बाद, मैं फेसबुक के माध्यम से सुरभि से जुड़ा। धीरे-धीरे हमारी दोस्ती प्यार में बदल गई। मैं 19 साल का था जब मैंने उसे अपने प्यार का इजहार किया, और उसने बिना किसी हिचक मेरा प्रपोजल स्वीकार कर लिया। हमारी बातें प्यार और मोहब्बत से भर गईं।

एक शाम, सुरभि ने कहा कि उसे मुझसे गले लगाने का मन कर रहा है। मैंने पूछा, “और क्या चाहती हो?”

उसने जवाब दिया, “मैं आपको चूमना चाहती हूँ।” उसके शब्दों ने मेरे दिल की धड़कन बढ़ा दी।

मैंने फिर पूछा, तो उसने कहा, “मैं आपके साथ सोना चाहती हूँ।” उसका इशारा साफ था, और मैं खुशी से फूला नहीं समाया।

मैंने पूछा कि वह क्या पहनी हुई है, तो उसने बताया कि वह लोअर और टी-शर्ट पहने हुए है। मैंने पूछा कि क्या उसने ब्रा पहनी हुई है, तो उसने हाँ कहा और बताया कि उसका साइज 30 इंच है।

मैंने मजाक में कहा, “तुम्हारे आम अभी छोटे हैं।” उसने हँसकर कहा, “आप आकर इन्हें बड़ा कर दीजिए।”

हमारी बातें गर्म हो गईं, और हम एक-दूसरे को फोटो भेजने लगे। हमारा रिश्ता और मजबूत होता गया। हम रात में लंबी बातें करते, जो अक्सर रोमांटिक हो जाती थीं।

सुरभि कहती, “मैं आपसे मिलना चाहती हूँ।” मैंने सुझाव दिया कि हम किसी रेस्टोरेंट में मिलें, लेकिन उसे कुछ निजी चाहिए था। उसने होटल के कमरे में मिलने के लिए हामी भर दी, हालांकि उसे दर्द का डर था। मैंने उसे आश्वस्त किया कि मैं धीरे-धीरे करूँगा।

अगले दिन, मैंने उसके लिए एक उपहार और चॉकलेट लेकर 100 किलोमीटर की दूरी तय की और होटल में कमरा बुक किया। जब वह आई, तो मैंने पहली बार उसे देखा। मेरे दिल में खुशी का समंदर उठा।

हम कमरे में गए, एक-दूसरे को गिफ्ट दिए, और बिस्तर पर बैठ गए। हम दोनों शरमा रहे थे, लेकिन उत्साह भी महसूस कर रहे थे। अचानक बिजली चली गई, और अंधेरे में मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और चूमा। उसने भी जवाब में चूमा।

मैंने उसे कसकर पकड़ लिया, उसकी धड़कन महसूस की। हमारी सांसें मिलती रहीं, और हमने प्यार के शब्द एक-दूसरे के कानों में फुसफुसाए। मैंने उसके शरीर पर उंगलियाँ फेरीं, और वह खुशी से कांप उठी।

मैंने उसकी गर्दन पर धीरे से काट लिया और गर्दन को चूमने लगा.

वो खड़े खड़े ही मदहोश हो उठी और कहने लगी- आह … जल्दी से मेरी आग बुझा दो. मुझे अब और मत तड़पाओ.
मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाना शुरू कर दिया.

वह गर्म हो रही थी और उसका हाथ मेरी पैंट के ऊपर आ चुका था. वह मेरे टाइट लंड को ऊपर से महसूस कर पा रही थी.

तभी उसने जींस उतार दी और बिस्तर पर चित लेट गई.
उसने अपनी उंगली चुत पर रगड़ी और अपनी चूत को चाटने का आमन्त्रण दे दिया.

मैंने भी देर न करते हुए उसकी चिकनी चूत को चाटना शुरू कर दिया.

अब कमरे में उसकी मादक आवाज़ कोयल जैसी गूंज रही थी जो मुझे और उत्तेजित कर रही थी.
उसे भी लंड चूसने का बड़ा मन था.

फिर मैंने भी अपना 6 इंच का लंड उसके मुँह में दे दिया.
वह उसे ऐसे चूस रही थी … मानो सालों की प्यासी हो.

सुरभि ने मुझे अपने ऊपर खींचा और मैं भी उसकी रसभरी चूचियों का रसपान करने लगा.

फिर सुरभि ने कहा- जान, अपना लंड मेरे चूचियों में लगा दो.

मैंने तुरन्त अपना लंड उसकी चूचियों की दरार में डाल दिया.

अपने मम्मों की चुदाई का जो सुख सुरभि प्राप्त कर रही थी. तभी उसने खड़े लंड को मुँह में लेकर मेरी उत्तेजना में 4 चांद लगा दिए. मुझे ऐसा लग रहा था कि किसी भी क्षण मेरा वीर्य उसके मुँह में जा गिरेगा.

मैंने जब उसकी चूत को छुआ, तो देखा कि उसमें से रस गिर रहा था जो बह कर उसकी गांड तक जा रहा था.

मैं उसकी दोनों टांगों को फैला कर उसके इस रस को पीने लगा.
उसकी आहों और मादक कराहों से पूरा कमरा गूंज रहा था. तड़प के मारे वह मेरे हाथों को ज़ोर से दबा रही थी और अपने दूसरे हाथ से अपनी चूत में मेरी जीभ घुसा देना चाह रही थी.

जब मैंने देखा सुरभि पूरी तरह गर्म और पागल हो रही थी. उत्तेजना में मैंने उसकी चूत में अपनी एक उंगली डाल दी.
वह ज़ोर से चीखी.

कुछ ही पलों में उसकी चाहत हद से ज्यादा बढ़ चुकी थी. वह अपनी अनछुई चूत में एक उंगली और डालने की मांग करने लगी.

मैंने भी झट से अपनी एक और उंगली चुत में पेल दी.
वो चीख कर बोली- आज इसे ऐसे ही फाड़ने का प्लान है क्या आपका?

चूंकि मैं पहली बार किसी लड़की के साथ सेक्स करने जा रहा था, तो अनुभव की कमी थी.

पर मैंने तुरन्त कंडोम का पैकेट निकाल कर लंड को पहनाने की कोशिश करने लगा.

परन्तु उसने कोंडम के लिए मना कर दिया. मैं उसके ऊपर छा गया और अपना चेतक उसकी चूत से रगड़ने लगा.

वह पागल होकर सब भूल गयी और कहने लगी- आपका लंड बहुत मोटा है … मेरी चूत में जा नहीं पाएगा.
सील टूटने से होने वाले दर्द के डर से वह लंड को अन्दर नहीं ले रही थी.

मैंने उसके बालों को बल पूर्वक पकड़ा और लंड को अन्दर डालने की कोशिश करने लगा.
चूंकि उसकी चुत गीली थी, लंड का टोपा आधा अन्दर गया ही था कि वह हाथ पैर पटकने लगी और लंड बाहर निकालने की ज़िद करने लगी.

मैंने उसके गुलाबी होंठों को अपनी गिरफ्त में लेते हुए उसके हाथों को कस कर पकड़ लिया और अपना लंड धीरे धीरे अन्दर डालने लगा.

कुछ ही देर में उसकी आहों में मुझे अलग ही किस्म का सुख प्राप्त हो रहा था.
उसकी गर्म सांसें मुझे पागल कर रही थीं. वो मेरे बदन को चूमते हुए आहें भर रही थी.

मेरा चेतक कुछ ही क्षण में रफ्तार पकड़ चुका था. उसको दर्द भी अब लगभग न के बराबर हो रहा था. मेरा लंड अब धकाधक चुत के अन्दर आगे पीछे दौड़ने लगा.

अब सुरभि भी मेरा साथ देते हुए अपनी चुत को उठा कर झटके मारने लगी. वो मेरा पूरा साथ दे रही थी.

कुछ ही देर की चुदाई में मुझे ऐसा लग रहा था किसी भी क्षण वह अपना पानी मेरे चेतक पर फेंक देगी … और हुआ भी यही.
उसने कुछ मिनट बाद मुझे इतना कस कर जकड़ा मानो हम कभी अलग ही नहीं होना चाहते हों.

सुरभि ने मुझे चूमते हुए अपनी चुत से गाढ़े सफेद पानी की बरसात कर दी.
मेरा लंड अब उसकी चूत के मैदान में और उत्तेजित होकर फिसलने लगा.

मैंने रफ्तार दोगुना कर दी. मैं अपनी पूरी ताकत को उसकी चुत की गहराई को नापने में झौंकने लगा.

वह ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी और कह रही थी- आह जान … अपना पूरा माल मेरी इस चुत को पिला दो.

उस उत्तेजना में मैंने भी अपनी सारी गर्मी उसकी चुत में झोंक दी.
कुछ क्षण हम ऐसे ही शून्य की अवस्था में पड़े रहे और निढाल हो गए.

फिर मैंने उठ कर उसे चूमा और उसके बाजू में लेट गया. बगल में रखी एक चॉकलेट उसके साथ ही खाई. वो मस्त निगाहों से मुझे देख रही थी.

अब मेरा मन उसकी मस्त मोटी और टाइट गांड पर आ चुका था.

मैंने उसकी गांड में उंगली फेरी तो वो समझ गई.
सुरभि कहने लगी- यह छेद तो बहुत टाइट है … इसमें आपका लंड कैसे समाएगा?

मैंने कहा- इस छेद में भी चला जाएगा बन्नो.. तुम मेरे लंड पर पेस्ट्री की क्रीम तो लगाओ.
उसने ठीक वैसा ही किया.

सुरभि ने मेरे पूरे लंड को चूस कर साफ किया और अपने हाथों से पेस्ट्री लगा कर लंड को खड़ा कर दिया.

अब मेरा लंड गांड की दरार में जाना चाहता था, जो अत्यंत संकीर्ण थी.

मैंने थोड़ी सी क्रीम उसकी गांड के मुहाने पर लगा दी, जिससे सरलता से मेरा लंड उसकी गांड की गहराई को नाप सके.

मैंने जैसे ही उसकी गांड पर अपना लंड लगाया … वह एक पल को कसमसाई और कहने लगी- आराम से करना जान … नहीं तो बहुत दर्द होगा.

मैंने उसके होंठों को फिर से अपनी पकड़ में लिया और उसे बेड पर लिटाकर खुद जमीन पर खड़ा हो गया.
मैं उसकी गांड को देखते हुए चोदना चाहता था.

जब मैंने लंड घुसाने की कोशिश की, तो वह दर्द से मुझे धकेलने लगी.

मैंने उसे कसकर पकड़ा और किस करते हुए एक हाथ से उसके बालों को पकड़े हुए अपना लंड डालने लगा.

सुपारा गांड में लेते ही सुरभि जोर से चीख उठी- आह … आह … उमांआआ … मर गई … आह.

मैंने उसकी चिल्लपौं को नजरअंदाज करते हुए लंड गांड के अन्दर डाल कर उसकी आवाजों को और तेज़ कर दिया.

कुछ ही देर में मेरा पूरा लंड उसकी गांड में समा चुका था और उसकी गर्म सांसें अब और भी तेज़ हो चुकी थीं.

कुछ ही देर के बाद सीन ये था कि सुरभि मेरे लंड को अपनी गांड को खुद से धक्का देने लगी.
मैं चुपचाप खड़े होकर उस चरम सुख को ले रहा था.

उसकी मादक सिसकियां मुझे मदहोश कर रही थीं. मेरा मन कर रहा था कि उसकी गांड को इतना चोदूं कि आज ही इसकी गांड रंडी जितनी बड़ी गांड हो जाए.

सुरभि ज़ोर से कहने लगी- आह जान अब बर्दाश्त नहीं हो रहा. अपनी पूरी जवानी निकाल दो और मेरा सारा बचा हुआ माल अपने लंड को दे दो.

इतना सुनते ही मैंने उसके दोनों कंधों को पकड़ा और अपनी जवानी को उसकी गांड में देना शुरू कर दिया. वह अपने हाथ से मेरे सीने को ऐसे नौंच रही थी मानो वह कह रही हो कि उसका पूरा माल मैं अपने लंड में समा लूं.

मैंने पूछा- माल कहां लेना है?
सुरभि कहने लगी- इस बार मेरी नाभि में डाल दो.

मैंने भी अपना लंड उसकी नाभि पर रखा और सारा वीर्य उसकी नाभि में भर दिया. वीर्य की गर्मी से वह बेचैन हो उठी.

कुछ देर बाद हम दोनों एकदम नग्न ही उठे और बाथरूम में आ गए. वह अपने भीगते बालों को पीछे करके बैठ कर मेरे लंड पर अपना हाथ फेरने लगी.

वो फर्श पर बैठ कर लंड चूसने लगी और कहने लगी- आह … ऐसा लंड किसी के बॉयफ्रेंड का नहीं होगा.

दस मिनट बाद हम दोनों साथ में नहाये.

नहाने के बाद मैंने देखा कि वह ठीक से चल नहीं पा रही थी. उसका दर्द मैं समझ सकता था.

हमने प्लान बनाया कि ऐसे हम होटल में कब तक मिलेंगे. दोनों अगर एक ही शहर में रहें, तो ज्यादा अच्छा होगा.

वो एक सप्ताह बाद मिलने के फ़ोन सेक्स करने की मांग करती थी. मुझे भी लगा कि अगर साथ में रहेंगे, तो बहुत बेहतर होगा.

यह भी एक समस्या थी, इसका निदान क्या हुआ और कैसे मैं उसके शहर में शिफ्ट हुआ; अगली बार मैंने उसे कैसे चोदा, ये सब मैं अगली कहानी में लिखूंगा.

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