एक दिन घर आते वक़्त मेरी बीवी चाबी ड्यूटी पर ही भूल गई.
उसने मुझे कॉल कर के बताया कि वह घर के बाहर खड़ी है और चाभी नहीं है उसके पास.
मुझे जल्दी आने को बोला उसने.
लेकिन फ़ेक्ट्री में काम ज़्यादा था तो मैंने बताया- मुझे आने में देर हो जाएगी.
तो वह घर के बाहर इंतज़ार करने लगी.
तभी एक 40-42 साल का आदमी, जो रोज़ उसको देखता था और हमारे ही पड़ोस में रहता था, उसने कहा- अरे आप बाहर क्यों बैठी हो?
तो मेरी बीवी ने बताया- चाभी नहीं है मेरे पास घर की!
तो वह आदमी बोला- आप मेरे घर पर इंतज़ार कर लो जब तक आपके पति घर आते हैं.
दोस्तो, मैं आपको बता दूँ कि यह बात मेरी बीवी ने मुझे बाद में बताई.
इस लिये अब आगे की कहानी प्रिया की ज़ुबानी:
मेरे प्यारे यारो, मैं आपको बता दूँ कि मेरी हाइट 5’2″, रंग गोरा और फ़िगर 34-32-36 है.
तो जैसा मेरे पति ने बताया कि उस दिन मैं अपने घर के बाहर बैठी थी और रात भी बहुत हो गई थी.
इसलिये उस आदमी के कहने से मैं उसके साथ उसके घर चली गई.
हालांकि मुझे पता था कि वह आदमी मुझे रोज़ हवस भरी नज़रों से देखता है और मुझे अच्छा भी लगता था.
उसने दरवाज़ा खोला और अंदर मुझे पलंग पर बैठने को कह कर चाय बनाने के लिए दूसरे कमरे में गया.
उसके रहन सहन से मुझे अंदाज़ा हो गया कि वह आदमी वहाँ अकेला ही रहता था.
फिर वह आदमी मेरे लिये चाय लाया और उसने अपना नाम मुझे मनोज बताया.
उसको मैंने अपना नाम भी बताया.
मैं आपको बता दूँ कि मनोज जब चाय लेकर आया तो उसने ऊपर बनियान और नीचे लुंगी पहनी हुई थी.
जब वह बात करने के लिए सामने वाली कुर्सी पर बैठा तो पैर उठा कर फैला कर बैठा जिसकी वजह से मेरी नज़र उसकी लुंगी की तरफ़ गई.
और तभी मैंने देखा कि उसने अंदर कुछ नहीं पहना था, उसका काला लंबा लंड दिख रहा था. उसकी लंबी झांटें थी और आँड पर बाल भी थे.
जिसकी वजह से मेरी दिल की धड़कन तेज हो गई और मुझे अंदर से गुदगुदी होने लगी.
वह जानबूझ कर अनजान बनते हुए बात कर रहा था.
और जैसे ही उसकी नज़र मुझसे हटती, मैं उसके लण्ड को देखने लग जाती.
मैंने चाय पी ली थी.
उसके बाद मैंने उससे बोला- मैं कप रख के आती हूँ आपका भी!
जैसे ही मैं कमरे में वापस आई तो मैंने देखा कि मनोज नंगा प्लंग पर लेट कर अपने लंड पर तेल लगा रहा था.
उसने मुझे बोला- मैं बहुत दिन से तुमको चोदना चाहता था. आ जाओ सात इंच लंबे लंड की सवारी कर लो!
दोस्तो, मैं क्या बताऊं … मैंने बहुत दिनों से किसी गैर मर्द का लंड नहीं लिया था.
पाँच मिनट तक मैं उसके लंड को देखती रही और मेरे मुँह से पानी आने लगा।
मनोज मेरे पास आया और मुझे नीचे बिठा के अपना लंड चूसाने लगा.
उसके लंड से बहुत महक आ रही थी और मुझे मज़ा आने लगा.
मैं गर्म हो गई और मैंने अपने हाथों को पीछे जोड़कर उसका लंड तेज़ तेज़ चूसने लगी.
और मैं उसके आँड भी चाट रही थी लप लप कर के!
वह ‘आह हह अह मर गया’ ऐसी आवाज निकालने लगा.
फिर मैं खड़ी हुई और उसको अपनी चूत चटवाने लगी.
वो मेरी चूत चाटते हुए ही मेरे चूचे मसल रहा था.
“ओह आह … ह हय … और तेज़ चाटो’ की अवाज मेरे मुँह से निकलने लगी.
फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरा शर्ट पीछे से ही उठा के मुझे चोदने लग गया.
उसका लंड मोटा और बहुत गर्म था और टोपा मोटा होने की वजह से मेरी चूत में आग लग गयी.
क़रीब बीस मिनट की चुदाई के बाद मेरे मुँह में उसने अपना माल डाल दिया.
देसी घी से भी ज़्यादा गाढ़ा उसका वीर्य मुझे बहुत अच्छा लगा.
क़रीब रात के एक बजे तक उसने मुझे दो बार और चोदा.
और मुझे किसी रण्डी की तरह पैसे मेरी ब्रा में डाल के मेरे चूतड़ों पे हाथ मार के जाने को बोला.
जैसे ही मैं बाहर निकली, पाँच मिनट के बाद बाहर मेरे पति अरुण आ गये.
और उन के साथ घर में जा के मैंने उन्हें सब बताया.
तो उन्होंने सारा वाक़िया सुनते हुए मूठ मारी।
इसके बाद मैं हर दिन मनोज के घर जाकर उसके रात का ख़ाना बनाती और वह मुझे चोदता और रण्डी की तरह पैसे भी देता।